उपभोग-प्रवृत्ति भारत में यूरोपीय सेबों में बढ़ती रूचि
ग्राहकों के बदलते हुए चयनों, उत्पादों की गुणवत्ता और खान-पान की आदतों से सम्बंधित बहुत सारे कारकों के कारण यूरोपीय सेब दुनिया भर अधिक लोक्रपिय बन जाते हैं उदहारण के लिए भारत में. इस देश में सेबों की बढ़ती माँग से संबंधित मुख्य उपभोग-प्रवृत्ति हैं:
उच्च गुणवत्ता और ताज़गी
यूरोपीय सेब जो उच्च गुणवत्ता के लिए सम्मानित हैं उत्पादन एवं पर्यावरणीय के सख्त मानक पूरे करते हैं. भारतीय ग्राहक खास तौर पर यूरोपीय सेबों की ताज़गी और गुणवत्ता की प्रशंसा करते हैं जिन का आयात अक्सर मानकों को प्रमाण करते हुए प्रमाणपत्रों के साथ किया जाता है. उन सेबों का चयन ध्यान से किया जाता है और यूरोपीय सुरक्षा एवं नियंत्रण के नियम बहुत सख्त हैं. भारतीय ग्राहकों का यूरोपीय सेबों की गुणवत्ता पर भरोसा सेबों की बढ़ती हुआ मॉंग की तरह दिखाई देता है जो वहां विलासिता की वस्तुएँ समझे जाते हैं.
प्रकारों और स्वादों की विविधता
भारतीय ग्राहक यूरोपीय उत्पादकों से प्रदान की स्वादों की विविधता की अधिक से अधिक प्रशंसा करते जा रहे हैं. सेबों के प्रकारों की संख्या इतनी बड़ी है मीठे से खट्टे तक, कुरकुरे से कोमल तक कि हर किसी को कुछ पसंद आएगा. भारतीय बाज़ार में अधिक लोक्रपिय यूरोपीय सेब के प्रकार ये हैं: ‘गाला’,’ ग्रैनी स्मिथ’ ‘गोल्डन डिलीशियस’ और ‘रेड डिलीशियस’. उन फलों की लोक्रप्रियता उन के अनुपम स्वाद के कारण बढ़ती जा रही है. वे भारतीय पाक प्रणाली में नए स्वाद लाते हैं और उन ग्राहकों के लिए आकर्षक हैं जो खाने की विभिन्नता का नया अनुभव ढूंढते हैं.
जीवनशैली में परिवर्तन
हल ही दुनिया भर, भारत ग्राहकों के बीच में भी, खाने की अच्छी आदतों की जानकारी बढ़ती जा रही है. बहुत लोग प्राकृतिक, ताज़े स्नैक जैसे सेब चुन लेते हैं. इसी स्वस्थ आहार की प्रवृत्ति से सम्बंधित उन फलों की बढ़ती जा रही मांग जिन में विटामिन तंतु एवं एंटीऑक्सीडेंट शामिल हैं. भारतीय उपभोक्ता लेबलों और उत्पाद के स्रोत पर तथा यह कैसे उगाया जाता है इस पर अधिक ध्यान देने लगते हैं. सब से लोकप्रिय ये फल हैं जो टिकाऊ कृषि के नियमों के अनुकूल उगाये जाते हैं.
उपलब्धता और सौदों की बढ़ाई
यूरोपीय सेबों का भारत में बढ़ा हुआ आयात और बेहतर वितरण,इसमें फुटकर बिक्री के नवीन जगहों जैसे सुपरमार्केट तथा हायपरमार्केट के विकास के कारण फल बहुत उपभोक्ताओं के लिए अधिक आसानी से उपलब्ध बन गए हैं. दुकानों में देशी और विदेशी सेब बेचे जाते हैं. आयातकर्ताओं एवं व्यापारिक कंपनियों से चलाए मार्केटिंग एवं विज्ञापन अभियानों की मदद से उपभोक्ताओं की यूरोपीय सेबों की जानकारी बढ़ती जा रही है जिससे बिक्री का समर्थन भी किया जाता है. फल जैसे सेब खाने से लाभ का प्रचार करते हुए अधिक अभियान चलाए जाते हैं. मीडिया सेबों का खाद्य मूल्य पर अक्सर ध्यान देते हैं और इन को दैनिक आहार में शामिल करने लिए प्रोत्साहित करते हैं. इस के अतिरिक्त ऑनलाइन शॉपिंग की लोक्रप्रियता के कारण विभिन सेबों की उपलब्धता प्रीमियम उत्पाद सहित बढ़ गई है.